Lucent Samanya Gyan In Hindi PDF

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आज की इस Lucent Samanya Gyan In Hindi PDF में हम आप सभी को हिंदी से सबंधित कुछ महत्वपूर्ण जानकारिया बताएंगे जो आपके लिए जरूरी है हम आपको बताएंगे की हिंदी शब्द की उतपति कहा से हुई और कब हुई और हिंदी से सबंधित कुछ महत्वपूर्ण प्रश्न उत्तर भी आपको इसी पोस्ट में बतायंगे तो आप हमसे अंत जुड़े रहे और अपनी परीक्षा को और भी बेहतरीन बनाए।

Lucent Samanya Gyan In Hindi PDF

हिंदी शब्द हिन्द में इक प्रत्यय के योग से बना है। 500 ई पूर्व के आसपास द्वारा प्रथम के समय में सिंधु क्षेत्र शासको के अधिकार में था । ईरानी भाषा में स, ध्वनि को ह, कहा जाता है।

हिंदी का विकास क्रम:

हिंदी सभी प्रतियोगिता परीक्षाओ के लिए बेहद महत्वपूर्ण है खास तोर से टीचर से सम्बन्धित सभी एग्जाम में। इन सभी परीक्षाओ में हिंदी ग्रामर से सम्बन्धित कहि प्रश्न पूछे जाते है परन्तु आज हम इनमे से कुछ अहम् टॉपिक्स आपके लिए लाये है जिससे आप अपने एग्जाम की अच्छे से तयारी कर पाए।

संस्कृत

इसे दो भागो में बाँट दिया गया ।

(1) वैदिक संस्कृत
(2) लौकिक संस्कृत

(1) – वैदिक संस्कृत – 1500 ई,पू से 1000 ई,पू तक)

वैदिक संस्कृत वः भाषा थी जिसमे वेद (4) उपवेद (4) वेदांत (6) पुराण (18) उपनिषद (108) आदि की रचनाएँ की गयी ,
> वैदिक संस्कृत में कुल 52 ध्वनि थी ।
> संस्कृत भाषा का उल्लेख स्वप्रथम श्रग्वेद में मिलता है।
> संस्कृत को आर्यभाषा या देवभाषा के नाम से भी जानते है।
> हिंदी की आदि जननी भी वैदिक संस्कृत को ही कहते है।
> हिंदी संस्कृत भाषा की ही उत्तराधिकारिणी है।
> प्राचीन भारतीय आर्यभाषा वैदिक संस्कृत है।




वेद – वेद का अर्थ होता है -ज्ञान 

> इनकी संख्या 4 थी ।
(1) श्रग्वेद – इसमें देवी- देवताओ का वर्णन किया गया।
(2) यजुर्वेद – यह पद्य और गद्य दोनों में लिखा गया।
(3) सामवेद – इसमें संगीत का वर्णन है।
(4) अर्थववेद – इसमें जादू- टोना तत्र- मंत्र आदि का वर्णन।

वेदांत का अर्थ होता है – वेदो का अंत इनकी संस्ख्या 6 है
(1) शिक्षा
(2) कल्प इसमें कर्मकांडो और नियमो का उल्लेख
(3) व्याकरण – पाणिनि द्वारा रचित अष्टाघ्यायी
(4) सब्दो को उतपति बताने वाले
(5) छंद पिंगलमुनी द्वारा रचित छंदशात्र
(6) ज्योतिष

पुराण – पुराण का अर्थ होता है – पुराना ।

इसकी संस्ख्या 18 होती है।

(1) विष्णु पुराण
(2) पदमा पुराण
(3) ब्रम्हा पुराण
(4) शिव पुराण
(5) भागवत पुराण
(6) नारद पुराण
(7) मार्कडेय पुराण
(8) अग्नि पुराण
(9) लिंग पुराण
(10) भविष्य पुराण

उपनिषद क्या होता है 

उपनिषद की संस्ख्या लगभग 108 है।

> माण्डूक्योपनिषद सबसे छोटा उपनिषद है (12 श्लोक )
>बृहदारण्यक सबसे बड़ा उपनिषद है।

(2) लौकिक संस्कृत (100 ई पू से 500 ई पू )

> लोक में प्रचलित संस्कृत को लौकिक संस्कृत कहा गया ।
> लौकिक संस्कृत में 48 ध्वनियाँ ।
> लौकिक संस्कृत को पाणिनि ने अष्टयायी में नियमबद्घ किया है।

लौकिक संस्कृत में लिखे गये ग्रंथ 

 रचनाकार                                                                   ग्रंथ
(1) वाल्मीकि                                                           रामायण
(2) वेदव्यास                                                           महाभारत
(3) पानिनी                                                            अष्टाध्यायी
(4) चाणक्य                                                            अर्थशास्त्र
(5) वातस्यान                                                       कामसूत्
(6) भरतमुनि                                                         नाट्यशास्त्र
(7) महर्षि दण्डी                                                      काव्यादर्श
(9) राजशेखर                                                        काव्यमीमांसा
(10) राजाभोज                                                      सरस्वती कंठा भरणं

(2) पालि (500 ई पू से 1 ई तक



> भारत की प्रथम देशभाषा – पालि
> गौतमबुद्घ द्वारा सभी उपदेश पालि भाषा में ही दिए गये थे।

> बौद्घ धर्म के साहित्य त्रिपिटक भी पालि भाषा में ही लिखे गये थे।

(1) स्तुपिटक – गौतमबुद्घ के उपदेश
(2) विनयपिटक – आचार – व्यवहार से सबंधित
(3) अभिधम्मपिटक – दर्शन से सबंधित

अपभश के प्रमुख रचनाकार

(1) स्वंयभू – इन्हे अपभश का वाल्मीकि कहा जाता है क्योकि इन्होने पउम चरिउ नामक ग्रंथ की रचना की जो राम जी जीवन के ऊपर रामकथा है ।

(2) पुष्पदंत – इन्हे कृष्णकाव्य का प्रणेता कहा जाता है ।
रचनाए – महापुराण नायकुमार चरिउ जशर चरिउ

(3) इनकी रचना भविसयत कहा ( भविष्यद्त तथा) को अपभंश का पहला प्रबंघ काव्य कहा जाता है ।

(4) कुशलाभ – इनकी रचना – ढोला मारु रा दूल्हा विरह

(5) जिनदत सूरी – इनकी रचना – उपदेश रसायन रासनृत्य गीत रस काव्य।

(5) अवहटट (900 ई सो 1100 ई तक)

> अपभश के ही परवती रूप के अवहटट नाम दिया गया।
> अवहटट का सवर्पर्थम प्रयोग विद्यापति ने कीर्तिलता में किया था।

(6) हिन्दी (1100 ई से अब तक)

> हिन्दी एक फ़ारसी भाषा का शब्द है ।
> हिन्दी की उतपति शौरसेनी अपभश से मानी जाती है (UPSI-17)
> वर्तमान में हिन्दी का प्रचलित रूप खड़ी बोली है।

> पुरानी हिन्दी उर्दू और अंग्रेजी के मिश्रण से उतपन्न नई जबान हिंदुस्तानी भाषा कहलाती है। (UPSI-17)
> भारत की राजभाषा हिन्दी को सवेधानिक दर्जा दिया गया है।
> 14 सिम्बर 1949 को हिन्दी से सवेधानिक रूप से राजभाषा घोषित किया गया था इसलिए 14 सिम्बर को प्रतिवर्ष हिन्दीं दिवस के रूप मनाया जाता है।

> विश्व हिन्दी दिवस – 10 जनवरी
> वर्ष 1955 में गठित प्रथम राजभाषा आयोग के अध्यक्ष बी,जी,खेर, जी थे
> सविंधान में राजभाषा का वर्णन – भाग -17 में अनुच्छेद -343-351 तक किया गया है।
> सविंधान की आठवीं अनुसूची में कुल 22 भाषाओ का वर्णन किया गया है।

दोस्तों आगे की जानकारी आपको इस पोस्ट की पीडीऍफ़ में मिल जाएगी में आशा करूंगा की आपको यह पोस्ट पसंद आई होगी अगर आपको किसी भी प्रकार की कोई भी परेशानी आती है तो आप हमे कमेंट करके बता सकते हो जिससे हम आपकी मद्द्त कर सके दोस्तों हमने यह पीडीऍफ़ आपकी आने वाली सरकारी परीक्षाओ और अन्य परीक्षाओ को ध्यान में रखते हुए बनाई गई है।

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