What is Census:- नमस्कार दोस्तों, आज में हाजिर हूँ आपके लिए एक और बहुत शानदार जानकरी के साथ, दोस्तों ये जानकारी आपके सभी सरकारी एक्जाम्स में तो महत्वपूर्ण है ही, साथ ही आपको अपने देश में चल रही सभी तरह की योजनाओं और स्कीम के बारे में हमेशा पता होना चाहिये, दोस्तों आज हम बात करेंगे जनगणना के बारे में, जनगणना से सम्बंधित प्रश्न सभी सरकारी परीक्षाओं में पूछे जाते है, इस लिए आज में आपको जनगणना के बारे में सम्पूर्ण जानकारी देने आया हूँ, तो आज मे आपको इस लेख में बताऊंगा की जनगणना क्या होती है, जनगणना कैसे होती है, और जनगणना को क्यूँ करवाया जाता है, इस जानकरी को अच्छे से समझने के लिए इस लेख को अंत तक पढ़ें।
जनगणना क्या होती है ?
दोस्तों जनगणना को अंग्रेजी में Census (सेंसस) कहा जाता है, किसी भी क्षेत्र या देश के लोगो के बारे में सम्पूर्ण जानकारी प्राप्त करना और फिर उसका रिकॉर्ड बना कर रखना जनगणना कहलाती है, जनगणना करने का समय अन्तराल होता है, जनगणना एक समयांतराल में होती है, और इसका समय अन्तराल दस वर्ष है, अर्थात यह 10 वर्ष के अन्तराल में की जाती है, दोस्तों जनगणना के दौरान सिर्फ आपकी और आपके परिवार की गिनती ही नहीं बल्कि सभी तह की जानकारी ली जाती है, जैसे आपकी आर्थिक स्थिति, आपकी शिक्षा, आपका घर एवं घरेलु सुविधाएँ, जन्म दर और म्रत्यु दर, आपका धर्म, आपकी भाषा, आपकी जाती, आपका अलग अलग इलाकों में पलायन जैसी बहुत सी जानकारियां हांसिल करते है, दोस्तों इस कार्य में बहुत समय के साथ बहुत धन भी खर्च होता है, इसलिए इसे हर साल न करके दस साल के नत्रल में किया जाता है।
जनगणना का इतिहास:
दोस्तों जनगणना को दो भागों में बांटा गया है, एक आजादी से पहले का और दूसरा आजादी के बाद का, दोस्तों भारत में सर्वप्रथम जनगणना 1830 में ढाका में हुई थी, जो की अब बांग्लादेश की राजधानी है, ये जनगणना हेनरी वाल्टर ने करवाई थी, इस जनगणना में सेक्स, उम्र, घर जैसी जानकरी लोगों से ली जाती थी, 1866 से 1867 में देश के अधिकतर हिस्सों में जनगणना की गई, 1872 से इसे सेंसस के नाम से जाना जाता है, 1881 के बाद से भारत में हर दस साल में जनगणना की जाती है।
दोस्तों भारत में आजादी के बाद सेंसस एक्ट 1948 और 1990 के जनगणना नियमो के तहत की जाती है, दोस्तों जनगणना के इस डाटा का इस्तमाल केंद्र और राज्य सरकारें योजनायें बनाने के लिए करती है, लोकसभा, विधानसभा और स्तानीय स्तर पर होने वाले चुनाव में आरक्षण के लिए भी जनगणना के डाटा का इस्तमाल किया जाता है, सेंसस के पुरे प्रोसेस और उसके डाटा को केन्द्रीय गृह मंत्रालय मॉनिटर करती है। इसकी पूरी जिम्मेदारी ग्रह मंत्रालय के रजिस्टर जनरल और जनगणना आयुक्त के ऑफिस की होती है।
जनगणना क्यों की जाती है ?
दोस्तों जनगणना देश के आर्थिक, सामाजिक, और सांस्कृतिक, जनसँख्या आदि से सम्बंधित संख्या के माध्यम से लोगो को देश के इस प्रकार और इससे जुड़े अन्य पक्षों का अध्यन करने का मौका प्रदान करती है, दोस्तों इससे हमारे देश में सभी तरह की जानकारी का रिकॉर्ड सरकार आपने पास रखती है, दोस्तों देश के कल्याण और किसी भी तरह की नयी सेवाएँ शुरु करने के लिए इस रिकॉर्ड की जरूरत पड़ती है, इसलिए इन सभी जानकारियों को एक साथ इकठ्ठा कर के रखा जाता है।
जनगणना कैसे होती है:
दोस्तों जनगणना करने के लिए पहले सवाल तय किये जाते है, जैसे की नाम, उम्र, लिंग, शिक्षा, कमाई, कमाई का जरिया ऐसे ही कुछ बेसिक सवाल होते है, और इनके अलावा भी अन्य सवाल होते है, उसके बाद उन सवालों को एक फॉर्म के रूप में प्रिंट किया जाता है, और फिर जनगणना के लिए कुछ सरकारी कर्मचारियों को चुना जाता है, और उन्हें प्रोपर तरीके से ट्रेनिंग दी जाती है, और फिर उसके बाद ये चुने हुए कर्मचारी जनगणना के लिए बने हुए फॉर्म को लेकर घर-घर जाते है, और उस फॉर्म को भरवाते है, अर्थात जानकारी इकट्ठी करते है।
Note:- दोस्तों जनगणना में चुने हुए सभी कर्मचारियों को एक आइडेंटिटी कार्ड किया जाता है, अगर आप के घर पर कोई भी व्यक्ति जनगणना से सम्बंधित जानकरी लेने आता है तो आप उससे उसकी ID देख सकते है, सबूत के तौर पर ये आपका अधिकार है, कोई भी आपको अपनी ID दिखाने से मना नहीं कर सकते।
दोस्तों जनगणना के लिए कर्मचारियों को दो फॉर्म दिए जाते है, अर्थात हर घर से दो फॉर्म भरे जाते है, जिसमे पहले फॉर्म में गृह सेंसस होता है इस फॉर्म में घर गृहस्ती से सम्बंधित सवाल पूछे जाते है, जैसे घर, पिने का पानी, शौचालय की उपलब्धता, घर के उपयोग, बिजली, संपत्ति आदि सवाल पूछे जाते है। इसके बाद दूसरा फॉर्म भरा जाता है, जिसमे राष्ट्रिय जनसँख्या रजिस्टर से सम्बंधित प्रश्न पूछे जाते है, इस फॉर्म में कई तरह की जानकारी भरी जाती है।
डाटा जमा करने के बाद क्या करते है ?
दोस्तों इस डाटा को जमा करने के लिए सरकार ने देश के 15 शहरों में डेटा प्रोसेसिंग सेंटर बनाये गए हैं। जनगणना में इकट्ठे हुए सभी फॉर्म को इस सेंटरों तक पहुंचाया जाता है, उसके बाद इस डाटा की प्रोसेसिंग रिफाइन इंटेलिजेंट कैरेक्टर रिकॉग्निशन (ICR) सॉफ्टवेयर के द्वारा किया जाता है, इस सॉफ्टवेयर से कर्मचारियों द्वारा भरे गए फॉर्म्स को स्कैन करके उनको टेक्स्ट में बदल दिया जाता है, दोस्तों इस टेक्नोलॉजी का इस्तमाल भारत में पहली बार जनगणना के लिए 2001 में किया गया था।
डेटा सिक्योरिटी
दोस्तों आपको अपने डाटा को लेकर चिंता तो रहती ही होगी, और आपके मन में यह सवाल भी होंगे की कहीं हमारे डाटा किसी गलत हाथों में न पद जाये तो इसके लिए सरकार पूरी तरह से सतर्क है, आपको इसके लिए बिलकुल भी परेशां होने की आवश्यकता नहीं है, सरकार आपके डाटा की सिक्योरिटी के लिए सभी सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर कड़ी नजर रखती है, की कहीं कोई आपका डाटा किसी के साथ साझा तो नहीं कर रहा, दोस्तों सरकार के मुताबिक आपका डाटा एक दम सिक्योर है, आपका डाटा किसी भी सरकारी या गैर सरकारी एजेंसियों को नहीं दिए जायेगा, लेकिन राष्ट्रिय जनसँख्या रजिस्टर से सम्बंधित जानकारी का इस्तमाल सरकार कर सकती है, इस जनगणना के डाटा बेस का इस्तमाल सिर्फ सरकार कर सकती है।
दोस्तों जनगणना से सम्बंधित सम्पूर्ण जानकरी में आपको इस लेख में दे चुका हूँ, अगर आपको हमारे द्वारा दी गई जानकरी में कोई कमी या त्रुटि नजर आती है, तो हमें कमेंट करके जरूर बताये, दोस्तों यह जानकारी हमने बहुत से अलग अलग प्लेटफार्म से इकट्ठी की है, अगर आपको हमारे द्वारा लिखे गए लेख से सम्बंधित कोई भी तरह की शिकायत है तो आप हमें कमेंट कर सकते हैं, या फिर हमें मेल भी कर सकते हैं, exampura.com@gmail.com पर।